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दुनिया में दीनो इश्क़ के चर्चे तो कम करो
या आशिकों पे जारी फतवे तो कम करो...
पलकें बिछाए बैठे हैं हम राह में तेरी
तुम भी अना के अपनी, मसले तो कम करो ...
वैसे ही कम है वक़्त मोहब्बत के वास्ते
यूँ इश्क़ में ये रोज़ के झगड़े तो कम करो...
ना झुक सके तुम मेरी मोहब्बत में ग़म नही
गैरों के दर पे जा के ,सजदे तो कम करो...
जब गुफ़्तगू का हासिल जंग के सिवा नहीं
दिल में फिर दोस्ती के जज़्बे तो कम करो...
माना के खुशनसीब हो चाहत मेरी हो के
लेकिन ग़ुरूर औ नाज़ के जलवे तो कम करो...
4 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 17 सितम्बर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बेहतरीन रचना ...
वाह!!!
बेहतरीन रचना
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