शनिवार, 14 सितंबर 2019

क्यूँ है.....!!!


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फ़राख़दिली से बख़्शी नेमतें उसने
लगती न जाने फिर ,कमी क्यूँ है..

ख़ुशियों से आबाद है झोली मेरी
आँख में अजानी सी, नमी क्यूँ है..

तपिशे जज़्बात भरपूर है दिल में
बर्फ़ अपने रिश्ते पे ,जमी क्यूँ है..

सफ़र जारी है बिछड़ कर भी तुझसे
ज़िन्दगी उस मोड़ पर, थमी क्यूँ है..

दूरियाँ महज़ भरम है नज़रों का ही
आसमाँ संग उफ़क पर ,ज़मीं क्यूँ है..

सांझे न सही शामो सहर अपने
खुशी और ग़म हमारे, बाहमी क्यूँ है

मायने:
फराखदिली-उदारता/generosity
नेमतें-उपहार/वरदान/boon/gift
तपिशे जज़्बात- एहसासों की गर्माहट/warmth of emotions
उफ़क -क्षितिज/horizon
बाहमी -आपसी/mutual

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