शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

निश्चित है मिलन पिया से...


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मिलन की घड़ियाँ छोटी,
होता विरह तो लंबा है...

समा के खुद में साजन,
बिछोह उसका जीना है...

धड़कन गुंजारे पहलू में,
लब चुप ही रहता है...

अश्रुधार बहे नैनन से
फिर भी स्वप्न संजोना है ...

निश्चित है मिलन पिया से,
यह विश्वास ना खोना है...

1 टिप्पणी:

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना