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रातरानी की
मादक महक
हो तुम ..
शाखों की
चंचल लहक
हो तुम ..
हो सितारों की
जगमगाहट..
पत्तियों की तुम
सरसराहट ..
मनमोहिनी रंगत
फूलों की ...
मीठी सी चुभन हो
शूलों की ..
हरी दूब की
कोमलता
बरखा बूंदों की
शीतलता ...
मृग की
मासूम आँखों में
मोर की
सतरंगी पांखों में ...
हो कोयल के
गान में तुम
प्रीत की मधुरिम
तान में तुम ...
नज़र मैं डालूँ
जहाँ जहाँ
मिल जाते हो तुम
वहां वहां ...
सब कुछ में तुमको मैं पाऊं
मंदिर-मस्जिद क्यूँ जाऊं !
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