मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..
गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020
तेरे ही नज़ारे....
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कैसे लिखूँ मैं
गीत, छंद
नज़्में, ग़ज़लें
भटक गए आखर सारे
भाव जगत में खो गई ऐसे
गुम हो गए एहसास के धारे
हो रहा था इश्क़-ए-हक़ीक़ी
नुमायाँ मेरे रौं रौं से
बिन लिखे भी थे हरसूँ
ए मोहब्बत ! बस तेरे ही नज़ारे ........
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