रविवार, 24 जनवरी 2010

कान्हा मुरली वाले

"योगेश्वर कृष्ण " के लिए एक गोपी के क्या भाव हो सकते हैं उसे महसूस करके लिखने की कोशिश की है ...


कब से प्यासे दरस को तेरे नैन मेरे मतवाले
अब तो आज प्यास बुझाने ,कान्हा मुरली वाले

छवि विरजती हृदय में तेरी,देख देख इतराऊं
स्पर्श मगर तेरा पाने को,तडपत ही रह जाऊँ
कर साकार अब निराकार को,प्रेम मेरा अपना ले
अब तो आजा प्यास .....

भाव-भक्ति की नदिया में अब,गोते मैं यूँ खाऊं
प्रेम का दरिया उफन रहा है,कैसे पार लगाऊं
करे आत्मा तेरी कामना,देह को नाव बना ले
अब तो आजा प्यास बुझाने ...कान्हा मुरली वाले

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