गुरुवार, 21 मई 2009

बंद दरवाजे




उसके मकां के बंद "दरवाजे"..
तोड़ देते हैं हिम्मत मेरी
दस्तक देने के लिए..

मकां के दर खुले तो
दस्तक दूँ उसके मन के दरों पर भी..
अपने हर दर को बंद कर
यूँ ज़िन्दगी से गिले करना
आदत सी हो गयी है उसकी..

सहज हवा का झोंका ही
पल्ले हिला दे और उस दस्तक से
वो बढ़ के खोल दे वो बंद दरवाजे
तो शायद मुझे मौका मिले
उसके मन पे दस्तक देने का..

1 टिप्पणी:

सदा ने कहा…

बहुत बढि़या ।