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सावन बीतौ जाय सखी री
सजना क्यूँ नाहिं आय सखी री
नैनन बिरहा झिर झिर अंसुवन
सावन सम बरसाय सखी री ......
भीगी धरा अधीर उदासी
मनुआ मोरा भी तो भीगा
हर आहट मोरा जियरा धरके
पवन दुआर खटकाय सखी री .....
घिरि घिरि बदरा आवै नभ में
उठि आय हूक मोर जो नाचे
पायल चुप,सूना है अंगना
कोयल शोर मचाय सखी री
सजना क्यूँ नाहिं आय सखी री
सावन बीतौ जाय सखी री.......
1 टिप्पणी:
अति सुंदर !
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