मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..
शुक्रवार, 1 मई 2020
मुग़ालता.....
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मुग़ालता ही था उन्हें
लाज़िम-ओ-मलज़ूम होने का
दर्द-ए-जुदाई का यारब
किसी को भी एहसास न हुआ ....
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मुग़ालता-ग़लतफ़हमी
लाज़िम-ओ-मलज़ूम -inseparable
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