रविवार, 13 मई 2012

जीवन गीत लिखा है ....

हृदय तार के सुर पे साथी 
मिल कर जीवन गीत लिखा है 
अपरिमित अश्रु-जल सिंचित कर 
अधरों पर यह हास खिला है ....

जो कल तूफां के तेवर थे 
बने वही आधार हमारे 
निर्मल मन और सहज मार्ग से 
भ्रम जनित व्यवहार थे  हारे 
प्रेम सूर्य से छंटा कुहासा 
स्पष्ट दृष्टि सन्मार्ग मिला है ...
हृदय तार के सुर पे साथी  
मिल कर जीवन गीत लिखा है ....

अंधियारी रजनी के डर से  
विचलित नहीं होना है हमको 
दृढ क़दमों से संग चलें हम 
पल पल विकसित होना हमको 
ना मैं ही 'मैं', ना तू 'तू ' है 
'हम' में अमिट अस्तित्व दिखा है ..
हृदय तार के सुर पे साथी 
मिल कर जीवन गीत लिखा है ....

सकल चेतना रहे सजग नित 
उलझे क्यों किसी  व्यवधान में 
समझें धर्म-अर्थ-काम -मोक्ष को 
उतरें तन्मय स्वध्यान  में 
जन्मों की है सतत साधना 
जग का हर भेद-विभेद  मिटा है ...
हृदय तार के सुर पे साथी 
मिल कर जीवन गीत लिखा है ....

3 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुंदर जीवन गीत लिखा है .... :)

बहुत प्यारी रचना

sushila ने कहा…

ह्रदय के तार पर बहुत सुंदर गीत लिखा है आपने ! बधाई मुदिता जी !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bahut khubsurat... har pankti lajabab:)
हृदय तार के सुर पे साथी मिल कर जीवन गीत लिखा है ....