शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

मेरे चाहे कब आये हो.........

पल भर को भी दूर न होते
ऐसे मानस पर छाये हो
आना जाना श्वासों जैसा
मेरे चाहे कब आये हो

तुमने मुझको कब भरमाया
मैंने तुममें खुद को पाया
किसको समझूँ ,किसको जानूं
रूह के मेरी,तुम साए हो
मेरे चाहे कब आये हो........

महसूस किया स्पर्श तुम्हारा
सत्य,भ्रम क्या नहीं विचारा
अर्पण निश्छल मन कर बैठी
तुम अविचल क्या रह पाए हो?
मेरे चाहे कब आये हो....

जड़ता का बंधन है तोड़ा
अंतस को बस बहता छोड़ा
मन गंगा के प्रचंड वेग को
थामने बन के शिव आये हो
आना जाना श्वासों जैसा
मेरे चाहे कब आये हो.........

3 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

bahut pyaari rachna hai.....bhavon se bhari ....badhai

मुदिता ने कहा…

thanks didi..:)

आनंद ने कहा…

महसूस किया स्पर्श तुम्हारा
सत्य,भ्रम क्या नहीं विचारा
अर्पण निश्छल मन कर बैठी
तुम अविचल क्या रह पाए हो?
मेरे चाहे कब आये हो....

दुनिया के सबसे सौभाग्यशाली प्रियतम की अर्पित भाव !!