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सफ़र है
लम्बा ,
मंज़िल
अनजानी ,
धीरज खो मत जाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
फूल खिलेंगे
अगर सफ़र में
संग * भी होंगे
कभी डगर में
भरमा तू मत जाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
(संग=पत्थर )
साथ मिले गर
राह में ऐसा
बंधन डाले
कोई भी कैसा
लिप्सा में डूब न जाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
सुन्दर दृश्यों को
तू जीना
प्रेम के अमृत को
भी पीना
लक्ष्य को मत बिसराना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
राह में ऐसे
मोड़ जो आयें
साथी तुझको
छोड़ भी जाएँ
किंचित दुःख न पाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
हो पड़ाव
मनमोहक
कोई
जी लेना
हर इच्छा
सोयी
दमित न मन कर जाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
सहज
सरल
रहना
अभीष्ट है
साथ सदा
रहता वो
इष्ट है
भीतर है उसको पाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना .....
सफ़र है
लम्बा ,
मंज़िल
अनजानी ,
धीरज खो मत जाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
फूल खिलेंगे
अगर सफ़र में
संग * भी होंगे
कभी डगर में
भरमा तू मत जाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
(संग=पत्थर )
साथ मिले गर
राह में ऐसा
बंधन डाले
कोई भी कैसा
लिप्सा में डूब न जाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
सुन्दर दृश्यों को
तू जीना
प्रेम के अमृत को
भी पीना
लक्ष्य को मत बिसराना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
राह में ऐसे
मोड़ जो आयें
साथी तुझको
छोड़ भी जाएँ
किंचित दुःख न पाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
हो पड़ाव
मनमोहक
कोई
जी लेना
हर इच्छा
सोयी
दमित न मन कर जाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना
सहज
सरल
रहना
अभीष्ट है
साथ सदा
रहता वो
इष्ट है
भीतर है उसको पाना
पथिक !!
तू राह भटक मत जाना .....