सोमवार, 15 नवंबर 2010

पृथक ....


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सूरज की
किरणों से
धरती ,
क्या होती
कभी
पृथक है !!!!
दिन
मिलना
और
रात जुदाई ,
भ्रामक
सभी
मिथक हैं ...




6 टिप्‍पणियां:

  1. कम शब्द पर विस्तारित सन्देश
    सुन्दर

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  2. लाजवाब...प्रशंशा के लिए उपयुक्त कद्दावर शब्द कहीं से मिल गए तो दुबारा आता हूँ...अभी
    मेरी डिक्शनरी के सारे शब्द तो बौने लग रहे हैं...

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  3. सत्वचन...
    बहुत अच्छा लगा इसे पढना

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  4. आपके इस विश्वास में आश्चर्यजनक दृढ़ता है ...बहुत सुकून देने वाला भाव मुदिता जी धन्यवाद.

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