एहसास अंतर्मन के

मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..

शनिवार, 29 मई 2010

तेरी हस्ती का ख़ुमार

›
करती हैं ,हिज्र की रातें,तप तप के बेक़रार सुकूँ दे जाते हैं ,दिल को, तसव्वुर के आबशार कभी होते हैं हम साथ ,वादी-ए -कश्मीर में गुज़रती हैं...
5 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 27 मई 2010

चौदहवीं का चाँद

›
####### 'कल चौदहवीं की रात थी " दिखा होगा न चाँद तो शहर में तुम्हारे भी.. यही गज़ल गुनगुनाते थे तुम भर कर मेरा चेहरा ...
6 टिप्‍पणियां:
बुधवार, 26 मई 2010

अमृत्व

›
##### क्षणों का मिलन अपना कम नहीं जन्मों  के सहचर्य से  .... अमृत्व प्राप्ति को नहीं चाहिए घट भर अमृत ....
4 टिप्‍पणियां:

टूटी कली...

›
#### तोड़ कर कली को खिलने से पहले सजा लिया गुलदस्ते में बैठक की अपने ... प्रतीक्षारत थी  कली फूल बनने के उसने देखे थे सपने ....
2 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, 21 मई 2010

जुदाई

›
##### क्यूँ छलका आँखों से पानी ! आवाज़ दी जो सुनाई तेरी.... खुश थी इसी गुमाँ में अब तक, नहीं करती विह्वल मुझे जुदाई तेरी ......
4 टिप्‍पणियां:

सफर-ए -मोहब्बत

›
##### सफर-ए -मोहब्बत में गर बचाना चाहते हो खुद को फिसलने से तो ए हमदम...!! सूखे आंसुओं से भीगी बेगानियत की पगडण्डी पर रखना ...
2 टिप्‍पणियां:
बुधवार, 19 मई 2010

संदेसा पवन का...

›
######## ले के आई पवन संदेसा पिया तेरे जब आवन का जेठ की तपती धरती पर ज्यूँ बादल बरसा हो सावन का महक उठा मन तन उपवन सा खिले मोगरा और जूही चहक...
1 टिप्पणी:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
मुदिता
ना शायरा हूँ ना लेखिका..बस अंतर्मन के भावों को शब्द दे देती हूँ..जीवन को जितना जाना समझा है उसके आधार पर कुछ बाँटने की कोशिश की है.. और समझने की प्रक्रिया जारी है
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.