मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..
judai ka dard bahut khub dikha aaapki rachna se...bahut hi achhi rachna....regards
नमस्कार जी...दिल मैं है जिसका आभास..सदा रहेगा तेरे पास...कितना ही हिय पिए प्रेम रस..बुझे कभी न मन की प्यास...छलक रही क्यों आँखें तेरी..सुनकर के उसकी आवाज ..मन का पाखी जिसके संग मैं,मचले लेने को परवाज़...हमेशा की तरह सुन्दर कविता...दीपक शुक्ल...
hamesha ek hi baat kaise kahun??aapko padhna ek sabak hai mere liye..bahut hi khubsurat :)
अत्यंत सुंदर भाव ,अत्यंत सुन्दर कविता... गागर में सागर भर दिया आपने
judai ka dard bahut khub dikha aaapki rachna se...
जवाब देंहटाएंbahut hi achhi rachna....
regards
नमस्कार जी...
जवाब देंहटाएंदिल मैं है जिसका आभास..
सदा रहेगा तेरे पास...
कितना ही हिय पिए प्रेम रस..
बुझे कभी न मन की प्यास...
छलक रही क्यों आँखें तेरी..
सुनकर के उसकी आवाज ..
मन का पाखी जिसके संग मैं,
मचले लेने को परवाज़...
हमेशा की तरह सुन्दर कविता...
दीपक शुक्ल...
hamesha ek hi baat kaise kahun??
जवाब देंहटाएंaapko padhna ek sabak hai mere liye..
bahut hi khubsurat :)
अत्यंत सुंदर भाव ,अत्यंत सुन्दर कविता... गागर में सागर भर दिया आपने
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