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उकसाता है मुझको
अहम् मेरा
करने को साबित
क्षमताएं मेरी,
भूखा है
दुनिया की वाहवाही का ,
प्यास है इसे
तथाकथित पहचान
पाने की ...
डाल कर अपनी
सुप्त इच्छाओं पर
आवरण
प्रेम,
चिंता ,
त्याग और कर्तव्य के
करती रहती हूँ मैं
पोषित
अपने इस
बकासुर से अहम् को ..
किन्तु ,
करते ही अलग
स्वयं से
दिख गयी है मुझे
वस्तुस्थिति
और
वास्तविकता
इस तथाकथित
अस्तित्व की ...
मैं तो हूँ मात्र
एक अंश तुम्हारा
हे आद्या !
जानती हो तुम ही
मेरी क्षमताओं को
किया है प्रदान जिन्हें
तुम ने ही ..
कब और कहाँ
होना है
मेरे द्वारा
सदुपयोग उनका
करती हो निर्धारित
तुम्ही ,केवल तुम्ही ....
उकसाता है मुझको
अहम् मेरा
करने को साबित
क्षमताएं मेरी,
भूखा है
दुनिया की वाहवाही का ,
प्यास है इसे
तथाकथित पहचान
पाने की ...
डाल कर अपनी
सुप्त इच्छाओं पर
आवरण
प्रेम,
चिंता ,
त्याग और कर्तव्य के
करती रहती हूँ मैं
पोषित
अपने इस
बकासुर से अहम् को ..
किन्तु ,
करते ही अलग
स्वयं से
दिख गयी है मुझे
वस्तुस्थिति
और
वास्तविकता
इस तथाकथित
अस्तित्व की ...
मैं तो हूँ मात्र
एक अंश तुम्हारा
हे आद्या !
जानती हो तुम ही
मेरी क्षमताओं को
किया है प्रदान जिन्हें
तुम ने ही ..
कब और कहाँ
होना है
मेरे द्वारा
सदुपयोग उनका
करती हो निर्धारित
तुम्ही ,केवल तुम्ही ....
आद्या - माँ शक्ति के लिए प्रयुक्त हुआ एक नाम ...
आद्या ही तो आदि सत्य है।मनोबुद्धिअहंकार चिंतानि नाहम्।सत्य व श्रेष्ठ अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल कब और कहाँ सदुपयोग हो्ना है ये उनसे बेहतर और कोई कैसे जान सकता है………जय माँ दुर्गे
जवाब देंहटाएंमाँ के चरणों में की गयी सुन्दरतम प्रार्थना..आभार !
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