शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011

नियति ...



गद्दाफी के अंत और उसके सरकारी सैनिकों के सामने " मुझे गोली मत मारो " कह कर गिडगिडाने को पढ़ कर उत्पन्न हुए भावों को शब्द दिए हैं .... आशा है बात पहुंचेगी शब्दों के नाध्यम से ...

##################################

दिया था सन्देश
सिकंदर महान ने
होने पर बोध
अपनी लालसाओं की
व्यर्थता का ,
दिखा कर खाली हाथ
जाते हुए इस दुनिया से..

किन्तु
होता नहीं ग्राह्य
ऐसा कोई सन्देश
अहम् में डूबे
तानाशाहों को ..

समझ के नियंता
खुद को
अन्य ज़िंदगियों का ,
करते रहे
मनमानी,
छीनते रहे
ज़िन्दगानी..

और देखो न
फिर भी ,
मौत को देख सामने
गिडगिडाना पड़ ही गया
आखिर ,
ज़िन्दगी को
भीख में पाने के लिए .......!!

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2011

नामलेवा



माँगा होगा ना
कितनी मन्नतों से
बेटा तुमने !!
होने को
नामलेवा कोई
तुम्हारे बाद भी !

लेकिन..!

देख लो माँ
और बता देना
पापा को भी ..

किया था न्योछावर
अपना सब कुछ ,
उस बेटे की
जिस संतान पर ,
उसके जन्म से
अपनी मृत्यु तक ,
आज ,
उसी के
विवाह के
निमंत्रण पत्र में
नाम भी नहीं है तुम्हारा ...

नहीं रहा न कोई नामलेवा तुम दोनों का ..
बाद तुम्हारे ....!!!!

बुधवार, 12 अक्टूबर 2011

कुदरती इश्क

########

पाती हूँ आज़ाद मैं 
खुद को,
कुदरत के आगोश में ,
छाई है मदहोशी  ,
फिर भी,
होती हूँ मैं होश में ....

इश्क मिला है मुझको 
जैसे,
कोई तोहफा कुदरत का
ठंडक देती सबा हो 
या फिर ,
ताप सूर्य की फितरत का

इख्तियार कब है 
कुदरत पर ,
क्या देगी कितना देगी !
चाहत तेरी ,तुझे इश्क में
खलिश फ़कत 
दिल में देगी ...

इश्क कुदरती है उतना ही
जितनी हवा, 
धूप और बारिश ...
महसूस ही 
कर सकते हैं इसको,
मिले नहीं 
करके गुज़ारिश ...

बरस रहा है इश्क खुदा का
हर लम्हा ,
बस तू गाफ़िल ...
खोल दे मन के 
बंद दरवाज़े
सब कुछ फिर 
तुझको हासिल ........

शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2011

दीपक



लगातार जल जल कर दीपक ,हो गया महत्वहीन
सहज प्रेम अपनों का फिर भी , न पाया वो दीन

घर को रोशन करता फिर भी ,धरम निभाता अपना
क्षीण थी बाती,तेल शून्य था,ज्योति बन गयी सपना

तभी कोई अनजान मुसाफिर , छू गया सत्व दीपक का
भभक उठी वह मरणासन्न लौ,भर गया तेल जीवन का

हृदय व् मन का कोना कोना ,ज्योति से तब हुआ प्रकाशित
दीपक में किसकी बाती है,तेल है किसका,सब अपरिभाषित

निमित्त बना कोई ज्योति का,फैला चहुँ ओर उजियारा
यही सत्य है, दूर करो सब, मेरे तेरे का अँधियारा