मंगलवार, 30 अगस्त 2011

"अप्पो दिपो भव : "

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लग सकती है
छलांग
आध्यात्म में 

डूब कर
वियोग की गहराई में
या
पा कर
मिलन की ऊंचाई को
होती है जहां
ध्यान की प्रक्रिया
घटित ,
स्वयं को पहचान कर
किन्तु !!
लेना होगा
हर कदम
परिपूर्ण सजगता से
हमको ,
दोनों ही तरफ़
ले जाती हुई
पगडंडियों पर ...
घिरी होती हैं जो
अनजान ,
अँधेरी ,
खाईयों से ,
संभव है तभी
"अप्पो दिपो भव:"
का फलीभूत होना ....

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह …………बेहतरीन भाव के साथ सुन्दर प्रस्तुति अध्यात्म की तरफ़ ले जाती है।

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  2. सचमुच सजगता ही वह दीपक है जिसके सहारे हम हर यात्रा को सुगम बना सकते हैं... सुंदर भावयुक्त कविता!

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  3. वाह, खूबसूरत भावाभिव्यक्ति । सजगता हमोरे अंतर्चेतन को आलेकित करता हा।

    जवाब देंहटाएं
  4. किन्तु !!
    लेना होगा
    हर कदम
    परिपूर्ण सजगता से
    हमको ,
    दोनों ही तरफ़
    ले जाती हुई
    पगडंडियों पर ...
    घिरी होती हैं जो
    अनजान ,
    अँधेरी ,
    खाईयों से ,
    संभव है तभी
    "अप्पो दिपो भव:"
    का फलीभूत होना ....

    ओह! गहन आध्यात्मिक अनुभव
    के लिए सजगता का अहसास कराती
    इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए
    आपका बहुत बहुत आभार

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