सोमवार, 4 जुलाई 2011

'रूह ' को जानना नहीं आसां-(तरही गज़ल )


तू मुझे आजमाएगा कब तक - शायर मोमिन खान मोमिन का कहा यह मिसरा इस तरही गज़ल का आधार है


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तू मुझे आज़मायेगा कब तक !
रस्म-ए-दुनिया ,निभाएगा कब तक !

छीन कर ख़्वाब, मेरी पलकों से
अपनी नींदें , सजाएगा कब तक !

यूँ उठा कर वज़न गुनाहों का
ज़िन्दगी को ,दबाएगा कब तक !

मेरी हर इक वफ़ा पे मेरा नसीब
तंज़ करके ,रुलाएगा कब तक !

ख़ाक हो जाएँ उसकी चाहत में
इस तरह वो सताएगा कब तक !!

जोड़ सकते नहीं दिलों को कभी
ऐसे रिश्ते ,निभाएगा कब तक !!

मयकशी है नज़र की जानिब से
जाम झूठे ,पिलाएगा कब तक !

'रूह ' को जानना नहीं आसां
राज़ ये,दिल बताएगा कब तक !!


20 टिप्‍पणियां:

  1. छीन कर ख़्वाब, मेरी पलकों से
    अपनी नींदें , सजाएगा कब तक !

    बहुत खूब ... पूरी गज़ल के हर अशआर बहुत सुन्दर ...

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  2. 'रूह ' को जानना नहीं आसां
    राज़ ये,दिल बताएगा कब तक !!
    waah... bahut badhiyaa

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  3. जो दिलों को ,सके न जोड़ कभी
    ऐसे रिश्ते ,निभाएगा कब तक !!...यूँ तो सारे ही शेर बहुत अच्छे हैं ...पर ये शेर मेरे दिल को कहीं अंदर तक छू गया ..

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  4. अरे वाह...क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने...ढेरों दाद कबूल करें...हर शेर करीने से गढ़ा गया है...
    नीरज

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  5. 'रूह ' को जानना नहीं आसां
    राज़ ये,दिल बताएगा कब तक !!
    बहुत उम्दा गजल !

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  6. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 07 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच-- 53 ..चर्चा मंच 566

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  7. छीन कर ख़्वाब, मेरी पलकों से
    अपनी नींदें , सजाएगा कब तक !
    'रूह ' को जानना नहीं आसां
    राज़ ये,दिल बताएगा कब तक !!
    बहुत बढ़िया गज़ल

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  8. जो दिलों को सके न जोड़ कभी
    ऐसे रिश्ते निभाएगा कब तक
    ...............उम्दा शेर
    ............बेहतरीन ग़ज़ल

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  9. जो दिलों को ,सके न जोड़ कभी
    ऐसे रिश्ते ,निभाएगा कब तक !!
    bahut khoob kya baat hai behtrin rachanaa.badhaai sweekaren.

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  10. ग़ज़ल के हर शे’र से मन की भावनाएं अभिव्यक्त हो रहीं हैं। बेहतरीन, लाजवाब!!

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  11. तमाम अशआर बेहतरीन हैं...
    बहुत उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई....

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  12. लाजवाब गज़ल ... हर शेर में अलग कहन है ...

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  13. वाह!! बेहतरीन निभाया...उम्दा रचना.

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  14. बेहतरीन गजल को सम्मान ,शुभकामना ...

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  15. खूबसूरत गज़ल और आख़िरी शेर...
    बेहद खूबसूरत...


    आभार...

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  16. लाजवाब गज़ल है ... साधा हुवा हर शेर ...

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