गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

चंद जज़्बात ..

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रहे मसरूफ़
हर लम्हा
किसी के
इंतज़ार में ...
अफ़सुर्दा हैं
अब
छूट कर
हम
इस उम्मीद से ..

अफ़सुर्दा- उदास

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दम निकलता है
हर इक
अरमान पे
अब इस कदर .....
पुरसुकूं जीने को
लाजिम है कि
ख्वाहिश न रहे ....

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पा कर
हसीं नवाज़िशें
इस इश्क की
सनम .....
क्यूँ खो चुके हैं
उनको
कई गफलतों में
हम !!!!

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भुला कैसे सकोगे
वक्त गुज़रा
संग जो अपने ..
खुली आँखों से
देखे थे
जो हमने
अनगिनत सपने ..

नहीं है फर्क
तुझमें और मुझमें
कोई भी हमदम ...
हुए बेज़ार
जब से तुम
मैं भूली सब मेरे नगमें .....



11 टिप्‍पणियां:

  1. पा कर हसीं नवाज़िशें इस इश्क की सनम .....क्यूँ खो चुके हैं उनको कई गफलतों में हम !!!!

    उदास ..गहरे ...कोमल ....बहुत सुंदर एहसास ....
    कई बार पढ़ा ..कई बार और पढूंगी ....

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  2. खूबसूरत .....बहुत सीधी सच्ची बात .....आसान लफ्ज़ो के साथ .
    जिंदगी में जब तक रहेगी तुम्हारी मोहब्बत'

    मेरी हाथों की लकीरों में साथ रहेगी मेरी किस्मत

    सुना है सच्चे दिल से मांगो तो खुदा भी सुनता है

    माँगना मुझे जब तुम्हे दीन-दुनिया से मिले फुर्सत

    कितना भी सोच लूं कि तुमसे वास्ता नहीं रखूंगी

    न जाने कैसे तुमसे जुड़ जाते हैं मेरे ग़म-मसर्रत

    तुमसे पूछा किसी ने कि मेरा तुम्हारा रिश्ता क्या है

    तुमने जवाब क्यूँ नहीं दिया.अब यह कैसी गफलत

    कभी भी गर जो भूले तुम मुझे तो ये तुम समझ लो

    वो दिन मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन,मेरी क़यामत

    जी रही है ये निधि बस उस एक पल के ही इंतज़ार में

    यह कह दो तुम मेरे हो ,बस ,केवल इतनी सी है हसरत

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  3. दम निकलता है हर इक अरमान पे अब इस कदर .....पुरसुकूं जीने को लाजिम है कि ख्वाहिश न रहे ....

    लाज़वाब..हरेक रचना बेहतरीन

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  4. 'पुरसुकूं जीने को

    लाजिम है कि

    ख्वाहिश न रहे...'

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    सभी नज्मे खूबसूरत ......एहसासों की प्रभावपूर्ण कोमल अभिव्यक्ति

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  5. दम निकलता है हर इक अरमान पे अब इस कदर .....पुरसुकूं जीने को लाजिम है कि ख्वाहिश न रहे
    bahut badhiyaa

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  6. भुला कैसे सकोगे वक्त गुज़रा संग जो अपने ..खुली आँखों से देखे थे जो हमने अनगिनत सपने ..नहीं था फर्क तुझमें और मुझमें कोई भी हमदम ...हुए बेज़ार जब से तुम मैं भूली सब मेरे नगमें .....

    गहरे जज्बात ,अनुपम प्रस्तुति.
    दर्द का अहसास कराती इस अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत आभार.

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  7. पुरसुकूं जीने को लाजिम है कि ख्वाहिश न रहे ....
    ...
    पा कर हसीं नवाज़िशें इस इश्क की सनम ,
    क्यूँ खो चुके हैं उनको कई गफलतों में हम !
    ..
    ...sagar hai aapki garayi yeh alag baat hai ki sagar dariyaon ka wazood khatam kardeta hai....
    fir bhi aap sgar jitne hi gahre ho...apni rachnaon me!

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