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होती
जिस पल
संग
स्वयं के
मैं
एकांत
अवकाश में ,
ठीक उसी पल
चुपके से
तुम
चुरा ले जाते,
मुझ जोगन को
स्वयं
मुझी से,
सपनो के
आकाश में ....
होती
जिस पल
संग
स्वयं के
मैं
एकांत
अवकाश में ,
ठीक उसी पल
चुपके से
तुम
चुरा ले जाते,
मुझ जोगन को
स्वयं
मुझी से,
सपनो के
आकाश में ....
akaant se adhik khushnuma hai yah saath, yah ehsaas...
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात कही है………बहुत ही सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कोमल सुखद अभिव्यक्ति -
जवाब देंहटाएंजितनी बार पढ़ा आनंद और बढ़ता चला गया
Hi..
जवाब देंहटाएंJisko tum kahti Ekant ho..
Usme hai ekant kahan..
Priyatam tere sang raha hai..
Hai anuraag ka ant kahan..
Khud main tum kho jao chahe..
Par man main wo rahta hai..
Chupke se tandra main aata..
Tere sang vicharta hai..
Kam shabdon main, sumadhur kavita..
Tum to sada hi likhti ho..
Nahi magar tum ek shabd bhi..
Aur kahin bhi likhti ho..
Haha..
Sundar bhav..
Deepak..
शब्दों की कंजूसी पर बहुत गहन अनुभूति.
जवाब देंहटाएंसलाम.