रविवार, 19 दिसंबर 2010

"खैरख्वाह ".....

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हो जाते हैं
अकस्मात
प्रकट
कई अनजान
"खैरख्वाह"
बुरे हालातों में मेरे ...
लटके हुए चेहरों से
दिखा कर
संवेदना झूठी
होता है तुष्ट
'अहम् '
इन
तथाकथित मित्रों का ..
देता है
दुःख दूसरों का
राहत
उनकी खुद की
दयनीय ज़िन्दगी को ...
पाया है
सच्चे मित्रों को मैंने
सदैव
इर्द गिर्द अपने
बांटते हुए
हर पल ,
हर ख़ुशी ,
प्रफ्फुलित चेहरों से ..
देते हुए
हौसला मुझको
कदम दर कदम
और
मनाते हुए
उत्सव
सफ़लता के क्षणों का
साथ मेरे ......

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