गुरुवार, 19 अगस्त 2010

जीवन का भेद....

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भेद बड़ा गहरा है यारों
सोचो समझो इसको जानो
जीवन में पाना क्या तुमको
अपने भीतर उसको ठानो

जो भी पाना है तुमको फिर
महसूस करो उसके आने का
हर पल अपने अंतर्मन में
विश्वास करो उसको पाने का

तुम्हारी सोचे यकीं तुम्हारा
फल देगा मनचाहा तुमको
जीवन में सब मिलता ही है
जो होता मिल जाना तुमको

जब भी संशय होगा मन में
मनचाहा ना मिल पायेगा
डरोगे जिससे , 'ना हो जाए '
काम वही फिर हो जायेगा

सोच दृढ कर अभीष्ट की अपने
जीवन को तुम जी लो यारों
जीवन में क्या पाना खोना
सब कुछ तुम पर निर्भर यारों .... ....



3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ...रेकी का मूल मन्त्र बता दिया है ..:):):)

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  2. Hi...

    Mudita ki kavita ne seekhaya..
    Jeevan kaise nibhana hai..
    Man ke sanshay taj ke saare..
    Aage badhte jaana hai..

    Hamesha ki tarah.. Man mohit karti, jeevan darshan sikhati kavita..

    Deepak...

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