सोमवार, 18 जनवरी 2010

१८/०१/२०१०-शादी की सालगिरह पर ..अतुल के लिए

दिल में बसे हो गहरे हमनवा हो तुम
सफ़र -ए -ज़िन्दगी के रहनुमा* हो तुम

गुज़रे हैं साथ तेरे ,कितने खिज़ा- बहारें
दिल के खिले गुलों के गुलिश्तां हो तुम.

ना है कसमें-वादे, प्यार है इबादत दिल की
सजदों के खातिर जिंदा मुज्जस्मा हो तुम

दिन सोने से दमकते है, रातें हैं चांदनी सी
सुकूं- ए-दिल जहां है ,वो आसमां हो तुम

नामों से नहीं होता मुक्कमल* कोई रिश्ता
रिश्तों कि हकीक़त के आब-ए-रवां* हो तुम

बिन कहे समझते हम, दिलों की कितनी बातें
लफ़्ज़ों की नहीं ज़रुरत, मेरे हमज़ुबां हो तुम

झुकती है परस्तिश* में, ज़बीं खुदा के आगे
मुझको मिला खुदा से,हसीं अर्मुगां* हो तुम

meanings-

रहनुमा-राह बताने वाला
मुज्जस्मा-मूरत
मुक्कमल-पूर्ण
आब-ए-रवां= बहता पानी
परस्तिश-पूजा
ज़बीं-माथा
अर्मुगां - तोहफा /उपहार

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