रविवार, 17 जनवरी 2010

'उद्यान'---(आशु रचना )

वो कली से
फूल बनता
गुलाब,
वो जूही की
लचीली डाली
साँसों को महकाता
बेला,
चंपा पर बैठी
तितली
घास पर
बिछी चादर
हरसिंगार की
ओस की छुअन
कोयल की कुहू
होता है सब
अलग सा क्यूँ
अब 'उद्यान' में !!!!!

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