शनिवार, 8 अगस्त 2020

कुछ अशआर यूँही.....


#########

कर दिए जबसे जज़्बात मिरे,मैंने दफ़न

ज़िक्र मेरा भी सयानों की तरह होता है ...


इल्ज़ाम ए मोहब्बत से बरी है मुजरिम

इश्क़ उसका तो बयानों की तरह होता है ....

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

जिस्मों के पहरेदार समझ लेते जो खुद को

रूह कह रही है उनका गुनहगार हो के देख ....


तसव्वुर के आसमां में उड़ानें तो कम नहीं

ज़ुल्फ़ों के पेंचों ख़म में गिरफ़तार हो के देख.....

5 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (10 अगस्त 2020) को 'रेत की आँधी' (चर्चा अंक 3789) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

    जवाब देंहटाएं