बुधवार, 2 नवंबर 2011

शून्यता

प्रकाश ,
मिल कर सात रंगों से
दिखता है रंगविहीन ,
अवस्था शून्यता की
होती है घटित
शायद इसी तरह से ...

विद्यमान होते हुए भी
हर रंग के
दिखता है
सिर्फ
शुभ्र ,श्वेत प्रकाश
अपने शाश्वत स्वरुप में
नहीं मिलता जब तक
बाहरी कारक उसको
और
गुज़रते ही
अनुकूल माध्यम से
खिल जाता है
हर एक रंग
हो कर
परावर्तित

नहीं है सम्पूर्ण
इन्द्रधनुष
किसी भी
एक रंग की
अनुपस्थिति से .
चाहे तीव्रता हो
लाल रंग की
या फिर
असीम शान्ति
नीले रंग की ..

होती है महत्ता
हर रंग की
साथ उसकी पूर्णता के
रहते हुए
प्रकाश के
अस्तित्व में भी
और
उसकी शून्यता में भी ...

13 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह …………गज़ब का विश्लेषण किया है।

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  2. शून्यता को प्राप्त करने के लिए सारे रंग ज़रुरी हैं .. खूबसूरत रचना

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  3. ह़र रंग महत्वपूर्ण होता है प्रकाश के होने में भी और ना होने में भी...आँखें मूंद कर जब हम ध्यानस्थ होते हैं तो हम इन्द्रधनुष के विभिन्न रंगों पर अपना ध्यान साधते हैं..बाहरी प्रकाश से दूर हमारा आभामंडल साधना के क्रम में रंगों को महसूस करता है..और जब पूर्ण ध्यान लग जाता है तो उन से विमुक्त हो शून्यता को प्राप्त कर लेता है.

    साधना का मार्ग कर प्रशस्त करती इन्द्रधनुषी रचना.

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  4. rang bina jeevan.............
    ik kati patang hai

    aapki kavita me
    shailpik sugathan ka rang hai

    badhaai !

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  5. हर एक की अपनी एक जगह है और महत्ता है...इसे बाखूबी दिखा दिया आपने .बधाई !

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  6. हर एक वस्तु कि अपनी उपयोगिता होती और कई चीजों के तो पर्याय भी नहीं होते बेहतरीन प्रस्तुती

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  7. आपकी प्रस्तुति मुदित कर देती है,मुदिता जी.

    पर आपका मेरे ब्लॉग पर न आना मुझे उदास करता है.

    मेरी उदासी दूर कीजियेगा न ,प्लीज.

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ! प्रकाश एक भी है अनेक भी वैसे ही अस्तित्त्व भी एक है अनेक भी...

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  9. अच्छा सशक्त चिंतन...
    सुन्दर प्रस्तुति...
    सादर...

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  10. शून्यता की ओर ले जाता गहन चिंतन.

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