मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..
सोमवार, 20 जून 2011
आकाश...(आशु रचना )
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असीम विस्तार है आकाश का , जानती हूँ ! मेरी दृष्टि की सीमाओं से परे.. किन्तु , मेरे एहसासों की उड़ान के लिए पर्याप्त है आकाश हृदय का तुम्हारे ... थक कर सिमट आने को ज़मीं भी तो दिल की दिलाती है न अपने होने का यकीं उनको ...!!
मेरे
जवाब देंहटाएंएहसासों की
उड़ान
के लिए
पर्याप्त है
आकाश
हृदय का
तुम्हारे ...
बहुत सुंदर एहसास ...!!
सुन्दर अभिव्यक्ति.....बढ़िया !!
जवाब देंहटाएंदिल की धरती और हृदय के आकाश का मिलन अनोखा है, बधाई!
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