सोमवार, 20 जून 2011

आकाश...(आशु रचना )



###

असीम विस्तार है
आकाश का ,
जानती हूँ !
मेरी दृष्टि की
सीमाओं से परे..
किन्तु ,
मेरे
एहसासों की
उड़ान
के लिए
पर्याप्त है
आकाश
हृदय का
तुम्हारे ...
थक कर
सिमट आने को
ज़मीं भी तो
दिल की
दिलाती है न
अपने होने का यकीं
उनको ...!!

3 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे
    एहसासों की
    उड़ान
    के लिए
    पर्याप्त है
    आकाश
    हृदय का
    तुम्हारे ...

    बहुत सुंदर एहसास ...!!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर अभिव्यक्ति.....बढ़िया !!

    जवाब देंहटाएं
  3. दिल की धरती और हृदय के आकाश का मिलन अनोखा है, बधाई!

    जवाब देंहटाएं