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सुलग रहा था
मन का कोई
भीतरी कोना
जिस कारण ...
उसी कारण से
उपजे
तुम्हारे क्रोध ने
कर दी
मेरे हृदय पर
रिमझिम
फुहारों की वर्षा ...
बरस गया
यह एहसास
मुझ पर भी
कि अकेली नहीं
मैं इस सुलगन में .....
सुलग रहा था
मन का कोई
भीतरी कोना
जिस कारण ...
उसी कारण से
उपजे
तुम्हारे क्रोध ने
कर दी
मेरे हृदय पर
रिमझिम
फुहारों की वर्षा ...
बरस गया
यह एहसास
मुझ पर भी
कि अकेली नहीं
मैं इस सुलगन में .....
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंbehtareen
जवाब देंहटाएंजब किसी का क्रोध भी फुहार बन जाये तो ही प्रेम सच्चा है .....
जवाब देंहटाएंbahut accha hai di...
जवाब देंहटाएंehsaason ki fuhaar ho to akela nahi hai koi is jagati me...