सोमवार, 6 जून 2011

सुलगन.....


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सुलग रहा था
मन का कोई
भीतरी कोना
जिस कारण ...
उसी कारण से
उपजे
तुम्हारे क्रोध ने
कर दी
मेरे हृदय पर
रिमझिम
फुहारों की वर्षा ...
बरस गया
यह एहसास
मुझ पर भी
कि अकेली नहीं
मैं इस सुलगन में .....

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