रविवार, 5 जून 2011

तुम्हारी पुकार ...

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तुम्हारी पुकार पर
मेरी
आतुर प्रतिक्रिया देख
कहा था तुमने
कि
जानता हूँ मैं
चली आओगी
तुम
चिता से भी उठ कर
देने प्रतिउत्तर
मेरी पुकार का ...

कहीं ये न हो
कि
चिता की
बुझती हुई
अंतिम चिंगारी
तक भी
जलती ही रहे
लौ आस की
सुनने को
पुकार तुम्हारी
मेरे
खाक होने से पहले.... .

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