साजिश ..
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शब्द लड़े ,
बात बढ़ी ,
घुटे भाव
और
छूटा साथ ...
साजिश में
फंस
अहम् की
देखो
हम बैठे
अब
रीते हाथ.....
शब्द लड़े ,
बात बढ़ी ,
घुटे भाव
और
छूटा साथ ...
साजिश में
फंस
अहम् की
देखो
हम बैठे
अब
रीते हाथ.....
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क्यूँ होता है ऐसा....
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रखता नहीं
महत्व
जो ,
कुछ भी
दरमियाँ ...
देता
वही
उजाड़
क्यूँ
रिश्तों का
गुलसितां
रखता नहीं
महत्व
जो ,
कुछ भी
दरमियाँ ...
देता
वही
उजाड़
क्यूँ
रिश्तों का
गुलसितां
बहुत शानदार क्षणिकायें।
जवाब देंहटाएंसुंदर क्षणिकाएं! मन के भाव को व्यक्त करती।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव प्रबल क्षणिकाएं .....!!
जवाब देंहटाएंएक शब्द.......... शानदार.
जवाब देंहटाएंदोनों क्षणिकायें सच के आस पास हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.
bahut badhiya kshanikayen .
जवाब देंहटाएंपहला वाला ज्यदा बेहतर लगा.......सुन्दर |
जवाब देंहटाएंदोनों क्षणिकाएं सशक्त .....पहली कुछ ज्यादा अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर क्षणिकाएं ...अद्भुत
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