बुधवार, 9 मार्च 2011

देह ....स्पंदनो की

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होते हैं शब्द
देह सम ,
स्पंदनों की
रूह के लिए ..
न हो
भले ही
प्राथमिकता
किन्तु!
नकार सकते
नहीं
हम
महत्वपूर्ण
अस्तित्व
उनका ....


13 टिप्‍पणियां:

  1. नकार सकते
    नहीं
    हम
    महत्वपूर्ण
    अस्तित्व
    उनका ....
    sahi , bilkul sahi

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (10-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. मुदिता जी,

    छोटी किन्तु दमदार पोस्ट....

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  4. नकार सकते
    नहीं
    हम
    महत्वपूर्ण
    अस्तित्व
    उनका ....

    बिलकुल सही ,ठीक बात लिखी है

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  5. शायद तमाम कोशिशों के बावजूद कोई इसे स्वीकार नहीं कर पाता है इसलिए नकारने की चर्चा होती है। एक दार्शनिक रस में डूबी अभिव्यक्ति।

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  6. आदरणीय मुदिता जी, सादर प्रणाम

    आपके बारे में हमें "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर शिखा कौशिक व शालिनी कौशिक जी द्वारा लिखे गए पोस्ट के माध्यम से जानकारी मिली, जिसका लिंक है...... http://www.upkhabar.in/2011/03/jay-ho-part-3.html

    इस ब्लॉग की परिकल्पना हमने एक भारतीय ब्लॉग परिवार के रूप में की है. हम चाहते है की इस परिवार से प्रत्येक वह भारतीय जुड़े जिसे अपने देश के प्रति प्रेम, समाज को एक नजरिये से देखने की चाहत, हिन्दू-मुस्लिम न होकर पहले वह भारतीय हो, जिसे खुद को हिन्दुस्तानी कहने पर गर्व हो, जो इंसानियत धर्म को मानता हो. और जो अन्याय, जुल्म की खिलाफत करना जानता हो, जो विवादित बातों से परे हो, जो दूसरी की भावनाओ का सम्मान करना जानता हो.

    और इस परिवार में दोस्त, भाई,बहन, माँ, बेटी जैसे मर्यादित रिश्तो का मान रख सके.

    धार्मिक विवादों से परे एक ऐसा परिवार जिसमे आत्मिक लगाव हो..........

    मैं इस बृहद परिवार का एक छोटा सा सदस्य आपको निमंत्रण देने आया हूँ. यदि इस परिवार को अपना सहयोग देना चाहती हैं तो follower व लेखक बन कर हमारा मान बढ़ाएं...साथ ही मार्गदर्शन करें.


    आपकी प्रतीक्षा में...........

    हरीश सिंह

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  7. स्पंदनों की
    रूह के लिए .....शब्द कभी भी नहीं नकार सकते उनका अस्तित्व ...भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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