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कर देते हैं
व्यर्थ हम,
समय
और
ऊर्जा
अपनी,
अनावश्यक
तलाश में
प्रेम की ..
अपितु !
आवश्यक है
तलाश ,
मात्र
स्व-निर्मित
अवरोधों की,
हुआ है निर्माण
विरुद्ध प्रेम के
जिनका,
निज हृदयमें ..
प्राप्ति
उन अवरोधों की
मिटा देती है
व्यवधान सभी,
बहने को
निर्बाध ,
दरिया प्रेम का
उदगम है
जिसका,
अन्तःस्थल
हमारा ही ....
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (17-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
मुदिता जी,
जवाब देंहटाएंसुन्दर.....सच है बहार प्रेम ढूँढने से कोई फायदा नहीं......प्रेम तो पाने अन्तः स्थल में हो मिलता है|
aasaan shabdo mein behtareen rachna...
जवाब देंहटाएंप्रेम की तलाश को लेकर सार्थक विचार रखे आपने.....
जवाब देंहटाएंदरिया प्रेम का
जवाब देंहटाएंउदगम है
जिसका,
अन्तःस्थल
हमारा ही ....
...खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति...
सच कहा आपने...उद्गम स्थल तो हमारा ह्रदय ही है...
जवाब देंहटाएंभावभरी चिंतन परक सुन्दर रचना...
मुदता
जवाब देंहटाएंमुदित
प्रमुदित
कर देने वाली रचना
आभार
एक नया रूप........
हमेशा की तरह बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंसलाम
prem paane ka tarika aapka achchha laga..:)
जवाब देंहटाएंbahut khub!!