बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

तेरी पनाहों में ...

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रहा था मन उलझता ,ज़िन्दगी की राहों में
हुए तुम रहनुमा मेरे, चला तेरी पनाहों में

भटकती सोच थी ,था हर तरफ इक शोर मशरे का
हुआ जाता था दिल गाफ़िल, उदासी थी निगाहों में

तलाशें कैसे दुनिया में,ख़ुशी होती है किस शै में
सुकूने दिल तो मिलता है ,सिमट के तेरी बाँहों में

चलो जानां ,गुज़ारें हम ,हसीं लम्हें, परस्तिश में
इबादत का समय अपनी,गुज़र जाये ना आहों में

चले हो साथ तुम मेरे,हसीं है ये सफ़र अपना
मंज़िल की खबर किसको ,है बस तस्कीन राहों में

14 टिप्‍पणियां:

  1. इबादत का समय अपना गुजर ना जाए आहों में ...
    मंजिल की खबर किसको बस तस्कीन राहों में ..

    सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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  2. चले हो साथ तुम मेरे,हसीं है ये सफ़र अपना
    मंज़िल की खबर किसको ,है बस तस्कीन राहों म


    सुंदर रचना

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  3. तलाशें कैसे दुनिया में,ख़ुशी होती है किस शै में
    सुकूने दिल तो मिलता है ,सिमट के तेरी बाँहों में
    bahut hi achhi lagi

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  4. सारी ग़ज़ल शानदार. खास कर मक्ता बहुत खूब.आपकी कलम को सलाम

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  5. मुदिता जी,

    सुभानाल्लाह....बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है.......ये शेर दिल को छू लेने वाले हैं-

    तलाशें कैसे दुनिया में,ख़ुशी होती है किस शै में
    सुकूने दिल तो मिलता है ,सिमट के तेरी बाँहों में

    चलो जानां ,गुज़ारें हम ,हसीं लम्हें, परस्तिश में
    इबादत का समय अपनी,गुज़र जाये ना आहों में

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  6. बहुत ही खुबसूरत एहसासों से सजी रचना !

    हर शब्द का खुबसूरत मतलब !

    बहुत सुन्दर गज़ल शुक्रिया !

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  7. चले हो साथ तुम मेरे,हसीं है ये सफ़र अपना
    मंज़िल की खबर किसको ,है बस तस्कीन राहों में...

    भावपूर्ण ग़ज़ल के लिए बधाई।

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  8. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  9. तलाशें कैसे दुनिया में,ख़ुशी होती है किस शै में
    सुकूने दिल तो मिलता है ,सिमट के तेरी बाँहों में

    बहुत खूब ... लाजवाब शेर है ... उनकी बाहों में तो जीवन ही मिल जाता है ...

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  10. सुन्दर गज़ल .. सुंदर भावाभिव्यक्ति.

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