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भ्रम न हो
दानी होने का
दे कर कभी
क्षमा का दान
देते नहीं हम
कुछ दूजे को
करते नहीं
कोई एहसान ....
क्षमा प्रवृति
रखती है
निज को,
मुक्त
किसी भी
दुर्भाव से,
कुंठाएं फिर
नहीं पनपती
बोझिल मन के
व्यर्थ ताव से,
जो भी मिलता
स्वयं को मिलता
ऐसा अद्भुत
है ये दान,
नहीं देते हम
कुछ दूजे को
करते नहीं
कोई एहसान ....
त्रुटियाँ दूजों की
बिसरा कर
स्नेह ,
प्रेम की
जगह बनायें ,
जान प्रवृति
दुष्टों की हम
स्वयं को उनसे
न टकराएँ
क्रोध ,
द्वेष ,
प्रतिशोध
से मिलता
सहज
तरलता में
व्यवधान ,
भ्रम न हो
दानी होने का
दे कर कभी
क्षमा का दान .........
भ्रम न हो
दानी होने का
दे कर कभी
क्षमा का दान
देते नहीं हम
कुछ दूजे को
करते नहीं
कोई एहसान ....
क्षमा प्रवृति
रखती है
निज को,
मुक्त
किसी भी
दुर्भाव से,
कुंठाएं फिर
नहीं पनपती
बोझिल मन के
व्यर्थ ताव से,
जो भी मिलता
स्वयं को मिलता
ऐसा अद्भुत
है ये दान,
नहीं देते हम
कुछ दूजे को
करते नहीं
कोई एहसान ....
त्रुटियाँ दूजों की
बिसरा कर
स्नेह ,
प्रेम की
जगह बनायें ,
जान प्रवृति
दुष्टों की हम
स्वयं को उनसे
न टकराएँ
क्रोध ,
द्वेष ,
प्रतिशोध
से मिलता
सहज
तरलता में
व्यवधान ,
भ्रम न हो
दानी होने का
दे कर कभी
क्षमा का दान .........
wah. bahut achchi baat kahi aapne.
जवाब देंहटाएंबदला ,द्वेष ,क्रोध देता है
जवाब देंहटाएंसिर्फ तथाकथित अपमान
सटीक बात कही है आपने -
बहुत सुंदर रचना -
नववर्ष की शुभकामनाएं.
क्षमा बड़न को चाहिए......
जवाब देंहटाएंउपदेशात्मक रचना.....सुन्दर.
मुदिता जी,
जवाब देंहटाएंआज अमृता जी के ब्लॉग से आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....आपका ब्लॉग अच्छा लगा....रचना की पहली ही पंक्ति ने मन मोह लिया....बहुत सुन्दर .....
इस उम्मीद में आपको फॉलो कर रहा हूँ की आगे भी ऐसे ही रचनाएँ पढने को मिलेंगी.......शुभकामनायें|
कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को को भी)
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|