शुक्रवार, 4 जून 2010

वह अगण्य पल.....

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न जाने
कितने
पलों को
गिनने
के बाद
मिलता है
सुकूँ
उस घडी
जब
होते हैं
हम साथ
गूँज उठती हैं
दिशाएं
झूम उठती है
बहारें
करते हैं
दुनिया जहान 
की बातें
जो
हो के भी
नहीं होती
दरमियाँ हमारे
घुलते मिलते हैं
अंतस हमारे
उन
दुनियावी बातों
के ज़रिये
आ जाते हैं
हम
और करीब
दूर हुए बिना
अपनों से
अगण्य
पलों को
जीते हैं
हम साथ
हँसते हैं
गाते हैं
लिए
हाथों  में
हाथ ..
और फिर ,
पलक
झपकते ही
आ जाता है
वह क्षण
कहते हो
जब तुम
"अलविदा".....
समेट 
उन
अगण्य
पलों को
ज़हन में
अपने
भीगी 
पलकों
और
मुस्कुराते
लबों से
कर  देती हूँ
तुमको
'विदा'
गिनने
के लिए
सदियों से
लंबे
आगत
पलों को ,
सुकूँ भरा 
अगला
अगण्य पल
आने तक ....

1 टिप्पणी:

  1. Hi..

    Aas milan ki rahti dil main..
    Jab bhi koi door rahe..
    Dil se sang hamesha rahta..
    Chahe jitna door rahe..

    Sang main jab bhi hota koi ..
    Har din hanste beete hain..
    Har ek yug, ek pal sa beete..
    Sang sang jab jeete hain..

    Jab bhi vida ka mauka aaya..
    Aankhon main sawan hai laya..
    Nirjhar ashru bahe aankhon se..
    Aksar man bhi bhar sa aaya..

    Sundar kavita..

    DEEPAK..

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