मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

प्रेम के पथ पर ...

प्रेम के
पथ पर
चलने वाले
कदम ना
डगमग
होने पाए ....
प्रतिपल जुड़ती
आशाओं का
विश्वास
कभी ना
खोने पाए......

रिश्ते
दिल के
जब
जुड़ते हैं ,
शब्द -निशब्द
हो जाते हैं
तब ....
आँखों की
पुतली
में बसते ,
दृष्टि ओझल
भी होते
जब .....
दिया
जला के
रहो
प्रीत का
तिमिर
ना हावी
होने पाए...
प्रेम के
पथ पर
चलने वाले
कदम ना
डगमग
होने पाए ............

व्यर्थ क्यूँ
मन
हो जाता
विचलित ,
देख
खुली
आँखों से
हर पल.....
प्रेमाच्छादित
हृदय
हो रहा ,
उसमें भी
दिखता
तुझको
छल ....
जमी धूल
अंतस दर्पण
पर ,
प्रेम ही
उसको
धोने पाए ...
प्रेम के
पथ पर
चलने वाले
कदम ना
डगमग
होने पाए ........

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