बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

नैनन रंग बरसाए....


**************

पद्मनाभ,हे मुरली मनोहर
हृदय पुष्प है तुझको अर्पण
छवि में मोरी छवि है तेरी
जब जब देखूँ दर्पण....

मन खिले पलाश सा माधव
तन सिंदूरी छाया
हैं रक्ताभ कपोल जवा सम
ज्यूँ गुलाल छितराया....

हो प्रत्यक्ष हे!श्याम सांवरे
हरो वेदना मोरी
फागुन बिखरा चहुँ दिसा में
चुनरी मेरी कोरी....

फीकी तुझ बिन होरी कान्हा
रंग न कोई भाये
दरस मिले गोविंदा का जब
नैनन रंग बरसाए.....

द्वैत मिटे अद्वैत घटे अब
रोम रोम हर्षाओ
प्रीत में केशव रंगो स्वयं को
मुझ में तुम ढल जाओ.....

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 01 मार्च 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

    जवाब देंहटाएं
  3. भाव भक्ति रस छलका !
    स्वागत है रंगों का !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर कविता।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

    जवाब देंहटाएं
  5. मन खिले पलाश सा माधव
    तन सिंदूरी छाया
    हैं रक्ताभ कपोल जवा सम
    ज्यूँ गुलाल छितराया....
    वाह !बहुत सुन्दर
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं