गुरुवार, 27 सितंबर 2018

भगवान नहीं ....


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रिश्तों के
अनचाहे मेले
खेल बहुत से
जिसमें खेले
नहीं हूँ
शामिल
अब बाजी में
बुजदिल हूँ
जाँफ़िशान नहीं....

जग रखता क्यों
मुझसे आशा
गढ़ गढ़ कर
खुद की परिभाषा
भूल कोई भी
हो सकती है
इन्सां हूँ
भगवान् नहीं ......

मकसद मेरा
खुद को जीना
पहन पैरहन
झीना झीना
करूँ लड़ाई
झूठ से कैसे
निर्बल हूँ
बलवान नहीं....

साथ है तेरा
मेरी ताक़त
इश्क़ हुआ अब
मेरी इबादत
दर पे खड़ा
लिए झोली खाली
दीन बहुत
धनवान नहीं  ...

जाँफ़िशान- जान लुटाने वाला

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