रविवार, 27 जनवरी 2013

तुम आते तो हो...

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पत्तियों की
सरसराहट
भीगी सी आहट
महक लिए
फूलों की
पवन झकोरे से
तुम
आते तो हो .....

स्याह काली
रातों में
घनघोर
बरसातों में
बिजली की
कड़क संग
पल भर के
उजास से
तुम
आते तो हो ....

कोहरे से
घिरी सुबहों में
सुन्न होती
रगों में
कुनमुना सा
एहसास बन
गुनगुनी धूप से
तुम
आते तो हो ....

तपती रेत
आकुल,
प्यासी हिरनी
व्याकुल ,
बरसाने
अमृत प्रेम का
सावन के सघन
घन से
तुम
आते तो हो..

नस नस में
दर्द मीठा
दिल चाहे
अब सजना दीठा
करने पूरे
सब अरमां
पलकों में
स्वप्न से
तुम
आते तो हो....



2 टिप्‍पणियां:

  1. सुबह हो या शाम, सर्दी हो या गर्मी..सुख हो या दुःख एक वही तो डोल रहा है..बहुत सुंदर भक्तिमय रचना !

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  2. बहुत खूबसूरती से उकेरे हैं भाव ... सुंदर प्रस्तुति

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