रविवार, 27 जनवरी 2013

तुम आते तो हो...

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पत्तियों की
सरसराहट
भीगी सी आहट
महक लिए
फूलों की
पवन झकोरे से
तुम
आते तो हो .....

स्याह काली
रातों में
घनघोर
बरसातों में
बिजली की
कड़क संग
पल भर के
उजास से
तुम
आते तो हो ....

कोहरे से
घिरी सुबहों में
सुन्न होती
रगों में
कुनमुना सा
एहसास बन
गुनगुनी धूप से
तुम
आते तो हो ....

तपती रेत
आकुल,
प्यासी हिरनी
व्याकुल ,
बरसाने
अमृत प्रेम का
सावन के सघन
घन से
तुम
आते तो हो..

नस नस में
दर्द मीठा
दिल चाहे
अब सजना दीठा
करने पूरे
सब अरमां
पलकों में
स्वप्न से
तुम
आते तो हो....



मंगलवार, 15 जनवरी 2013

नृत्य जीवन का ....


मरघट की
शांति ,
अमन-ओ-सुकून नहीं,
सन्नाटा है ,
देख कर जिसे
होने लगता है
महसूस,
संसार है असार
और
भागने लगता है
इंसान
ज़मीनी सच्चाइयों से ....

हारे हुवों को
मौत में ही
दिखता है
अंतिम सच
क्योंकि
मर के ही
मिलता है
छुटकारा
हार के
एहसासात से..

मौत को
जश्न बनाना,
शमशान का
तांडव नहीं,
नृत्य है
जीवन का ,
सराबोर
सब कलाओं
भंगिमाओं
और
भावों से ...

पड़ती है जब
थाप मृदंग पर
हो उठते हैं
सब साज़
झंकृत
जुड जाता है
नाद से अनहद
और होती हैं
प्रस्फुटित
राग-रागिनियाँ.....

चलायमान मन
हो जाता है स्थिर,
होता है समाहित
अखिल अस्तित्व
चेतन्य में,
आरोह
और
अवरोह के
क्रम में
हो जाता है घटित
अद्वैत,
तज कर
द्वैत को ....

बुधवार, 9 जनवरी 2013

तू झूठा ...

तू झूठा ,
अफ़साने झूठे
सच है तेरा प्यार ,
लफ़्ज़ों में कब
हुआ है मुमकिन
रूहों का इज़हार .....

सुन लेता है
दिल मेरा सब
बोल न पाते
जो तेरे लब
दिल से तेरे
दिल तक मेरे
जुड़े तार ,बेतार .....

नज़रों में नहीं
झूठे सपने
इक दूजे में
अक्स हैं अपने
टिके कदम
ज़मीं पर अपने
रचते सच्चा संसार ....

साथ तेरा ,
मेरी जीस्त का हासिल
मैं तुझ में
तू मुझमें शामिल
कसमे-वादों से
आज़ाद है
तेरा मेरा इकरार ....

तू झूठा ,
अफ़साने झूठे
सच है तेरा प्यार ,
लफ़्ज़ों में कब
हुआ है मुमकिन
रूहों का इज़हार .....