रविवार, 12 अगस्त 2012

बीज शब्दों के..


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होते हैं
कुछ और ही
निहित अर्थ
अभिव्यक्ति के ,
बोते हैं
जब जब
बीज हम
शब्दों के...


जब हो कर
घटित
किसी रचना में
लहलहाती है
फसल शब्दों की
काटता है
हर पाठक
उसे मानो
अपने अर्थों की
दरांती से ....

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