नहीं करता घोषित
जीवन
प्रत्याभूति
अथवा
प्रतिश्रुति
सुख-शांति
और
सौभाग्य की...
मात्र करता है
उपलब्ध ,
सम्भावना
और अवसर
करने को अर्जित
इनको ....
सहज अवलोकन
यथावत
घटित
विषम का भी
देता है अवसर हमें
करने को गवेषण
उसमें निहित
सकारात्मक
सम्भावना का ....
हो कर चेतन
संभावनाओं के प्रति
ना खोएं हम
सुअवसर,
होता है यह मात्र
स्वजागृति पर
निर्भर ...
जीवन
प्रत्याभूति
अथवा
प्रतिश्रुति
सुख-शांति
और
सौभाग्य की...
मात्र करता है
उपलब्ध ,
सम्भावना
और अवसर
करने को अर्जित
इनको ....
सहज अवलोकन
यथावत
घटित
विषम का भी
देता है अवसर हमें
करने को गवेषण
उसमें निहित
सकारात्मक
सम्भावना का ....
हो कर चेतन
संभावनाओं के प्रति
ना खोएं हम
सुअवसर,
होता है यह मात्र
स्वजागृति पर
निर्भर ...
सौभाग्यशाली हूँ कि ऐसी रचनाएँ पढ़ पाता हूँ आत्मसात करने के सतत प्रयास में !
जवाब देंहटाएंआभार !!
सब कुछ स्वजागृति पर ही निर्भर है...सच्चा दर्शन .
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