रविवार, 1 जनवरी 2012

बीतना २०११ का


नहीं बीतता वक़्त कभी,
देते हैं हम
अलग अलग नाम
उसे बाँट कर
घंटों,
दिनों,
हफ़्तों ,
माह और सालों में ..

वक़्त है
अनंत
और
अखंड
होता है बस
रूपांतरित
एक पल से
दूसरे पल में

दे कर सीमाएं
वक़्त को ,
कर लिया है
सीमित
हमने स्वयं को भी...
उम्र के मापतौल को
दे कर परिभाषाएं
बचपन,
जवानी
और बुढ़ापे की
जीते हैं कुछ
मानकों को
हम
नाम पर जीवन के
बजाय जीने के
जीवन समग्रता से

नहीं बीतता
बचपन कभी भी ,
होता है रूपांतरित
युवावस्था में
और
होता है
जवानी का रूपांतरण
परिपक्वता में
लेते हुए अनुभव
जिए हुए पलों का ...
बेमानी है हिसाब
उम्र के गणित का
यहाँ ...

इसी तरह
होता है
जीवन भी रूपांतरित
पल दर पल
जुड़ा हुआ विगत से ,
जुड़ते हुए आगत से ..
छोड़ कर देह
फिर जीता है
एक नए रूप
और
नए नाम के साथ ....

बिलकुल उसी तरह
जैसे
२०११ हो रहा है
रूपांतरित
२०१२ में
नयी उमंगें ,
नयी आशाएं लिए हुए

है न
यह भी तो
हमारी ऊर्जा के समरूप
क्यूंकि ऊर्जा है
अनंत और
अविनाशी
समय की ही भांति .



2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत गहन चिंतन..सुन्दर प्रस्तुति..आप को सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  2. सच बात है..वक्त बदलता नहीं बस रूपांतरित होते रहता है!!
    बहुत ही अच्छी लगी कविता!

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