मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..
गुरुवार, 22 दिसंबर 2011
आसमान
आसमान ...####
देखो ना! कैसी फितरत है आसमान की भी ... कभी पसर जाता है अपनी अंतहीन सीमाओं के साथ छोटी सी एक छत की जगह और कभी ! असीम विस्तार को लिए सिमट आता है जैसे एक छत कोई ......!!!
वाह...! लाजवाब
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता। बधाई।
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