शनिवार, 17 दिसंबर 2011

बस मेरा सरमाया है....

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तेरे खत में सलाम आया है
एक भूला सा नाम आया है
खुशबू साँसों की तेरी है उसमें
तेरी नज़रों का जाम आया है

है क्यूँ रेशम सा कागज़ी टुकड़ा
बार बार चेहरे से छुआती हूँ
मेरे हाथों में जैसे हाथ तेरा
उंगलियाँ उसपे यूँ फिराती हूँ
कब लिखा जा सकेगा शब्दों में
अनकहा जो पयाम आया है
तेरे खत में सलाम आया है ...

तेरे हर्फों की जो ख़ामोशी है
गूंजती जा रही है धड़कन में
इश्क की राह में उतर लीं हैं
कितनी गहराइयां सनम हमने !
ज़िंदगी भर की खुशी दे दी है
खत तेरा ,बस मेरा सरमाया है
तेरे खत में सलाम आया है
एक भूला सा नाम आया है
खुशबू साँसों की तेरी है उसमें
तेरी नज़रों का जाम आया है ...

6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !! मज़ा आ गया पढ़ कर, बेहद खूबसूरत रचना !

    मेरी नई रचना "तुम्हे भी याद सताती होगी"

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  2. यह भाव तो हर वह व्यक्ति अनुभव अवश्य करता है जिसने कभी किसी से प्यार किया है। सचमुच बड़ा मीठा अनुभव व उतना ही मीठा रसभरी प्रस्तुति।

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