शुक्रवार, 6 मई 2011

निशब्द दिलासा .....

भोर के
उजास में,
चिड़ियों की
मीठी चहचाहट
के मध्य ,
हुई थी
धीमी सी
आहट
उन कदमों की
दर पर मेरे ...
शीतल ,मंद
बयार में
बहते
स्पन्दन
पहुँच गए हैं
मेरे हृदय तक....
छोड़ कर
कदमों के निशाँ,
लौट गए हैं वो
दे कर यह
निशब्द दिलासा
मुझको ,
कि नहीं हुई है
अभी विस्मृत ,
मेरी राह से
जुड़ने वाली
राह उन्हें ...
जलाये हुए
दिया प्रेम का ,
होने को
सतत
चलायमान
इस राह पर,
मेरे लिए तो
यह
निशब्द दिलासा ही
काफी है ......

12 टिप्‍पणियां:

  1. ' मेरे लिए तो यह निशब्द दिलासा ही काफी है' ......

    सुन्दर कोमल भावों की अनुपम प्रस्तुति.
    सात्विक वातावरण में 'निशब्द दिलासा'
    अदभुत है ,जो मन को 'मुदित'
    कर रहा है.

    मेरे ब्लॉग पर आईये,नई पोस्ट जारी की है.आपके सुविचारों की आनंद वृष्टि की अपेक्षा है.

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  2. ' मेरे लिए तो यह निशब्द दिलासा ही काफी है'

    वाह्………प्रेम का सुन्दर निरुपण किया है।

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  3. बहुत सुन्दर भाव व संवेदनाओ से पूर्ण रचना।

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  4. मेरी राह से जुड़ने वाली राह उन्हें ...जलाये हुए दिया प्रेम का ,होने को सतत चलायमान इस राह पर, मेरे लिए तो यह निशब्द दिलासा ही काफी है ......bahut achhi rachna

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  5. दिलासा .......अपने आप में ही सब समेटे हुए है....उसे शब्दों के सहारे कि ज़रूरत ही नहीं.......स्नेह प्रेम सहभागिता,लगाव.सब कुछ है.......अच्छी रचना...साधुवाद !

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  6. सुन्दर......प्रेम के रस से सराबोर पोस्ट.....प्रशंसनीय |

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  7. फिर से चिड़ियों कि चहचहाहट
    फिर से वही मधुर संगीत...एक शब्द चुन चुन कर...एक एक भाव चुन चुन कर आप गीत लिखते हूँ...नहीं शायद आप सीधे संगीत लिखते हो ....!

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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