मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

तार ले मुझको तारणहार ...

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पूजा मेरी हो स्वीकार
तब होगा मेरा उद्धार
तीन लोक के हे संचालक !
तार ले मुझको तारणहार ...

क्रोध,कामना,अहम् ,विद्वेष
रहे हृदय में कभी ना शेष
तेरे चरणों में कर अर्पण
खाली हो मेरा घर द्वार
तार ले मुझको तारणहार ....

खाली घर में जोत जलाऊँ
तेरी प्रीत की लगन लगाऊँ
मुंदी हैं पलकें ,भाव समर्पित
नहीं हैं शब्दों का व्यापार
तार ले मुझको तारणहार ...

अश्रु जल से चरण पखारूँ
हृदय कमल मैं तुझ पर वारूँ
सर्वस्व किया अब तुझको अर्पण
तुम्ही नाव लगाओ पार
तार ले मुझको तारणहार ....

8 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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  2. प्रार्थना रुपी ये पोस्ट बहुत सुन्दर लगी.....वो ही तारने वाला है उसके अतिरिक्त और है ही कौन......प्रशंसनीय |

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  3. आँखे नम हो गयी प्रार्थना में डूबकर .. भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  4. क्रोध,कामना,अहम् ,विद्वेषरहे हृदय में कभी ना शेष तेरे चरणों में कर अर्पण खाली हो मेरा घर द्वार तार ले मुझको तारणहार ... bahut hi badhiyaa

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  5. तार ले मुझको तारणहार ....
    bahut bhavpoorna prarthna ..

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  6. क्रोध,कामना,अहम् ,विद्वेषरहे हृदय में कभी ना शेष तेरे चरणों में कर अर्पण खाली हो मेरा घर द्वार तार ले मुझको तारणहार

    sunder abhivyakti .

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  7. क्रोध,कामना,अहम् ,विद्वेषरहे हृदय में कभी ना शेष तेरे चरणों में कर अर्पण खाली हो मेरा घर द्वार तार ले मुझको तारणहार ....

    आपके पूजनीय भावों को शत शत नमन.
    आप मेरे ब्लॉग पर आयें.हार्दिक स्वागत है.
    रामजन्म का भी सादर बुलावा है आपको.

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  8. अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

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