बुधवार, 16 मार्च 2011

अपूर्ण-सम्पूर्ण

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यूँ तो
नहीं था
एहसास
मिलने से
पहले
कि
'तुम'
और
'मैं'
हैं
कहीं कुछ
अपूर्ण ..

घुल जाने से
किन्तु !!
तुम्हारा
और
मेरा
"मैं ",
हो गया है
घटित
जीवन में
ज्यूँ
सभी कुछ
सम्पूर्ण ...

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खूब.
    दोनों ही भाव खूबसूरत,
    चाहे इश्क हक़ीकी हो या मजाज़ी.

    घुल जाने से
    किन्तु !!
    तुम्हारा
    और
    मेरा
    "मैं "

    बहुत बढ़िया.
    सलाम.

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  2. मुदिता जी,

    बहुत ही सुन्दर लगी ये पोस्ट सच कहा है आपने की' मैं' के घुलने पर ही सम्प्पोर्ण प्रकट होता है .......रंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|

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