शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

अप्रतिम विजय ..!! ( भावानुवाद)


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संभवतः
ना बदले
पूरी दुनिया ,
बदल सकती भी नहीं
पूरी दुनिया ,
बदलेगी भी नहीं कभी
पूरी दुनिया ,
किन्तु !!!
बदल सकते हो
इसी क्षण
अपना
नन्हा सा संसार
हमेशा के लिए ,
मदद से
अपनी चैतन्यता
और आत्मविश्वास
की ..
हृदय !!
वही तो है
तुम्हारी
अप्रतिम विजय ..!!

( भावानुवाद--- " श्री चिन्मोय " की एक रचना का )

10 टिप्‍पणियां:

  1. मुदिता जी,

    बहुत ही सुन्दर बात कही है......सच है तुम बदलोगे...युग बदलेगा......बहुत खूब|

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  2. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (12.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  3. मुदिता जी
    बहुत ही सुंदर रचना, शब्दों के भाव बहुत गहरे हैं !

    आभार !!

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  4. सच में खुद को बदल लेना ही सबसे बड़ी जीत है.
    हमेशा की तरह अच्छी रचना के लिए आभार.

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  5. सुन्दर और भावपूर्ण कविता । बधाई।

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  6. सुन्दर भावानुवाद....खूबसूरत प्रस्तुति...

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  7. भावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति..........वाह वाह ,क्या बात है

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  8. संसार को मन की चैतन्यता के साथ
    सापेक्षित किया आपने ,सुन्दर विचार ,
    सुन्दर प्रस्तुति !

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